UNGA में भारत की दहाड़
India in UNGA Session: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत का पक्ष दुनिया के सामने रखा. उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत खास अंदाज में की और कहा, "भारत की जनता का नमस्कार." अपने पूरे भाषण में उन्होंने सात बार देश को 'भारत' कहकर संबोधित किया, जबकि कुछ मौकों पर 'इंडिया' शब्द का भी इस्तेमाल किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ज़िक्र करते समय उन्होंने विशेष रूप से 'भारत' शब्द का प्रयोग किया और कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपने कर्तव्यों को समझते हुए आगे बढ़ रहा है और पिछले दशक में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता के कारण भारत में परिवर्तनकारी बदलाव आए हैं."
विदेश मंत्री जयशंकर की पोशाक भी चर्चा का विषय रही. उन्होंने काले रंग का बंदगला पहना था, जिसकी जेब पर साफ-साफ एक केसरिया रंग का रूमाल दिखाई दे रहा था. अपने संबोधन में उन्होंने साफ कहा कि दुनिया के प्रति भारत का दृष्टिकोण तीन मूल सिद्धांतों पर आधारित है, आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास.
पाकिस्तान पर बिना नाम लिए वार
जयशंकर ने अपने भाषण में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन परोक्ष रूप से जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि "एक ऐसा पड़ोसी है जो वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बन चुका है." भारत ने इसके बाद जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया.
भारत की ओर से द्वितीय सचिव रेन्ताला श्रीनिवास ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि जिस देश का नाम नहीं लिया गया, उसने फिर भी जवाब देने का फैसला किया और इस तरह सीमा पार आतंकवाद की अपनी गतिविधियों को खुद स्वीकार कर लिया. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी तर्क या झूठ 'टेररिस्तान' के अपराधों को छिपा नहीं सकता.
इसके बाद पाकिस्तान मिशन के अधिकारी मुहम्मद राशिद फिर से मंच पर आए और आरोप लगाया कि भारत किसी देश के नाम को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत कर रहा है. इस पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सभा से बाहर जाने का फैसला किया. इस तरह पाकिस्तान दो बार खुद अपने ही बयान से उलझ गया और अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार किया कि वही आतंकवाद का गढ़ है.
अमेरिका को आड़े हाथों लिया
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने संबोधन में अमेरिका या तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना एच-1बी पेशेवर वीजा से जुड़े शुल्क और प्रतिबंधों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि आज दुनिया टैरिफ में अस्थिरता और बाजार की अनिश्चितता का सामना कर रही है. इस बीच एच-1बी वीजा के जरिए वैश्विक कार्यस्थल के विकास को बाधित करना चिंता का विषय है.
अपने संबोधन में जयशंकर ने पश्चिमी देशों के दोहरे मानदंडों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदने पर भारत को दंडात्मक कदमों का सामना करना पड़ता है, जबकि यही नियम अन्य देशों पर लागू नहीं किए जाते. यह रवैया वैश्विक स्तर पर संतुलित नीति के खिलाफ है.